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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1226 | 8 | 66 | الآن خفف الله عنكم وعلم أن فيكم ضعفا فإن يكن منكم مائة صابرة يغلبوا مائتين وإن يكن منكم ألف يغلبوا ألفين بإذن الله والله مع الصابرين |
| | | अब ख़ुदा ने तुम से (अपने हुक्म की सख्ती में) तख्फ़ीफ (कमी) कर दी और देख लिया कि तुम में यक़ीनन कमज़ोरी है तो अगर तुम लोगों में से साबित क़दम रहने वाले सौ होगें तो दो सौ (काफ़िरों) पर ग़ालिब रहेंगें और अगर तुम लोगों में से (ऐसे) एक हज़ार होगें तो ख़ुदा के हुक्म से दो हज़ार (काफ़िरों) पर ग़ालिब रहेंगे और (जंग की तकलीफों को) झेल जाने वालों का ख़ुदा साथी है |
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1227 | 8 | 67 | ما كان لنبي أن يكون له أسرى حتى يثخن في الأرض تريدون عرض الدنيا والله يريد الآخرة والله عزيز حكيم |
| | | कोई नबी जब कि रूए ज़मीन पर (काफिरों का) खून न बहाए उसके यहाँ कैदियों का रहना मुनासिब नहीं तुम लोग तो दुनिया के साज़ो सामान के ख्वाहॉ (चाहने वाले) हो औॅर ख़ुदा (तुम्हारे लिए) आख़िरत की (भलाई) का ख्वाहॉ है और ख़ुदा ज़बरदस्त हिकमत वाला है |
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1228 | 8 | 68 | لولا كتاب من الله سبق لمسكم فيما أخذتم عذاب عظيم |
| | | और अगर ख़ुदा की तरफ से पहले ही (उसकी) माफी का हुक्म आ चुका होता तो तुमने जो (बदर के क़ैदियों के छोड़ देने के बदले) फिदिया लिया था |
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1229 | 8 | 69 | فكلوا مما غنمتم حلالا طيبا واتقوا الله إن الله غفور رحيم |
| | | उसकी सज़ा में तुम पर बड़ा अज़ाब नाज़िल होकर रहता तो (ख़ैर जो हुआ सो हुआ) अब तुमने जो माल ग़नीमत हासिल किया है उसे खाओ (और तुम्हारे लिए) हलाल तय्यब है और ख़ुदा से डरते रहो बेशक ख़ुदा बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है |
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1230 | 8 | 70 | يا أيها النبي قل لمن في أيديكم من الأسرى إن يعلم الله في قلوبكم خيرا يؤتكم خيرا مما أخذ منكم ويغفر لكم والله غفور رحيم |
| | | ऐ रसूल जो कैदी तुम्हारे कब्जे में है उनसे कह दो कि अगर तुम्हारे दिलों में नेकी देखेगा तो जो (माल) तुम से छीन लिया गया है उससे कहीं बेहतर तुम्हें अता फरमाएगा और तुम्हें बख्श भी देगा और ख़ुदा तो बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है |
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1231 | 8 | 71 | وإن يريدوا خيانتك فقد خانوا الله من قبل فأمكن منهم والله عليم حكيم |
| | | और अगर ये लोग तुमसे फरेब करना चाहते है तो ख़ुदा से पहले ही फरेब कर चुके हैं तो (उसकी सज़ा में) ख़ुदा ने उन पर तुम्हें क़ाबू दे दिया और ख़ुदा तो बड़ा वाक़िफकार हिकमत वाला है |
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1232 | 8 | 72 | إن الذين آمنوا وهاجروا وجاهدوا بأموالهم وأنفسهم في سبيل الله والذين آووا ونصروا أولئك بعضهم أولياء بعض والذين آمنوا ولم يهاجروا ما لكم من ولايتهم من شيء حتى يهاجروا وإن استنصروكم في الدين فعليكم النصر إلا على قوم بينكم وبينهم ميثاق والله بما تعملون بصير |
| | | जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया और हिजरत की और अपने अपने जान माल से ख़ुदा की राह में जिहाद किया और जिन लोगों ने (हिजरत करने वालों को जगह दी और हर (तरह) उनकी ख़बर गीरी (मदद) की यही लोग एक दूसरे के (बाहम) सरपरस्त दोस्त हैं और जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया और हिजरत नहीं की तो तुम लोगों को उनकी सरपरस्ती से कुछ सरोकार नहीं-यहाँ तक कि वह हिजरत एख्तियार करें और (हॉ) मगर दीनी अम्र में तुम से मदद के ख्वाहॉ हो तो तुम पर (उनकी मदद करना लाज़िम व वाजिब है मगर उन लोगों के मुक़ाबले में (नहीं) जिनमें और तुममें बाहम (सुलह का) एहदो पैमान है और जो कुछ तुम करते हो ख़ुदा (सबको) देख रहा है |
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1233 | 8 | 73 | والذين كفروا بعضهم أولياء بعض إلا تفعلوه تكن فتنة في الأرض وفساد كبير |
| | | और जो लोग काफ़िर हैं वह भी (बाहम) एक दूसरे के सरपरस्त हैं अगर तुम (इस तरह) वायदा न करोगे तो रूए ज़मीन पर फ़ितना (फ़साद) बरपा हो जाएगा और बड़ा फ़साद होगा |
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1234 | 8 | 74 | والذين آمنوا وهاجروا وجاهدوا في سبيل الله والذين آووا ونصروا أولئك هم المؤمنون حقا لهم مغفرة ورزق كريم |
| | | और जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया और हिजरत की और ख़ुदा की राह में लड़े भिड़े और जिन लोगों ने (ऐसे नाज़ुक वक्त में मुहाजिरीन को जगह ही और उनकी हर तरह ख़बरगीरी (मदद) की यही लोग सच्चे ईमानदार हैं उन्हीं के वास्ते मग़फिरत और इज्ज़त व आबरु वाली रोज़ी है |
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1235 | 8 | 75 | والذين آمنوا من بعد وهاجروا وجاهدوا معكم فأولئك منكم وأولو الأرحام بعضهم أولى ببعض في كتاب الله إن الله بكل شيء عليم |
| | | और जिन लोगों ने (सुलह हुदैबिया के) बाद ईमान क़ुबूल किया और हिजरत की और तुम्हारे साथ मिलकर जिहाद किया वह लोग भी तुम्हीं में से हैं और साहबाने क़राबत ख़ुदा की किताब में बाहम एक दूसरे के (बनिस्बत औरों के) ज्यादा हक़दार हैं बेशक ख़ुदा हर चीज़ से ख़ूब वाक़िफ हैं |
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