بسم الله الرحمن الرحيم

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ترتيب الآيةرقم السورةرقم الآيةالاية
1225865يا أيها النبي حرض المؤمنين على القتال إن يكن منكم عشرون صابرون يغلبوا مائتين وإن يكن منكم مائة يغلبوا ألفا من الذين كفروا بأنهم قوم لا يفقهون
ऐ नबी! मोमिनों को जिहाद पर उभारो। यदि तुम्हारे बीस आदमी जमे होंगे, तो वे दो सौ पर प्रभावी होंगे और यदि तुमसे से ऐसे सौ होंगे तो वे इनकार करनेवालों में से एक हज़ार पर प्रभावी होंगे, क्योंकि वे नासमझ लोग है
1226866الآن خفف الله عنكم وعلم أن فيكم ضعفا فإن يكن منكم مائة صابرة يغلبوا مائتين وإن يكن منكم ألف يغلبوا ألفين بإذن الله والله مع الصابرين
अब अल्लाह ने तुम्हारे बोझ हल्का कर दिया और उसे मालूम हुआ कि तुममें कुछ कमज़ोरी है। तो यदि तुम्हारे सौ आदमी जमे रहनेवाले होंगे, तो वे दो सौ पर प्रभावी रहेंगे और यदि तुममें से ऐसे हजार होंगे तो अल्लाह के हुक्म से वे दो हज़ार पर प्रभावी रहेंगे। अल्लाह तो उन्ही लोगों के साथ है जो जमे रहते है
1227867ما كان لنبي أن يكون له أسرى حتى يثخن في الأرض تريدون عرض الدنيا والله يريد الآخرة والله عزيز حكيم
किसी नबी के लिए यह उचित नहीं कि उसके पास क़ैदी हो यहाँ तक की वह धरती में रक्तपात करे। तुम लोग संसार की सामग्री चाहते हो, जबकि अल्लाह आख़िरत चाहता है। अल्लाह अत्यन्त प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है
1228868لولا كتاب من الله سبق لمسكم فيما أخذتم عذاب عظيم
यदि अल्लाह का लिखा पहले से मौजूद न होता, तो जो कुछ नीति तुमने अपनाई है उसपर तुम्हें कोई बड़ी यातना आ लेती
1229869فكلوا مما غنمتم حلالا طيبا واتقوا الله إن الله غفور رحيم
अतः जो कुछ ग़नीमत का माल तुमने प्राप्त किया है, उसे वैध-पवित्र समझकर खाओ और अल्लाह का डर रखो। निश्चय ही अल्लाह बड़ा क्षमाशील, अत्यन्त दयावान है
1230870يا أيها النبي قل لمن في أيديكم من الأسرى إن يعلم الله في قلوبكم خيرا يؤتكم خيرا مما أخذ منكم ويغفر لكم والله غفور رحيم
ऐ नबी! जो क़ैदी तुम्हारे क़ब्जें में है, उनसे कह दो, "यदि अल्लाह ने यह जान लिया कि तुम्हारे दिलों में कुछ भलाई है तो वह तुम्हें उससे कहीं उत्तम प्रदान करेगा, जो तुम से छिन गया है और तुम्हें क्षमा कर देगा। और अल्लाह अत्यन्त क्षमाशील, दयावान है।"
1231871وإن يريدوا خيانتك فقد خانوا الله من قبل فأمكن منهم والله عليم حكيم
किन्तुम यदि वे तुम्हारे साथ विश्वासघात करना चाहेंगे, तो इससे पहले वे अल्लाह के साथ विश्वासघात कर चुके है। तो उसने तुम्हें उनपर अधिकार दे दिया। अल्लाह सब कुछ जाननेवाला, बड़ा तत्वदर्शी है
1232872إن الذين آمنوا وهاجروا وجاهدوا بأموالهم وأنفسهم في سبيل الله والذين آووا ونصروا أولئك بعضهم أولياء بعض والذين آمنوا ولم يهاجروا ما لكم من ولايتهم من شيء حتى يهاجروا وإن استنصروكم في الدين فعليكم النصر إلا على قوم بينكم وبينهم ميثاق والله بما تعملون بصير
जो लोग ईमान लाए और उन्होंने हिजरत की और अल्लाह के मार्ग में अपने मालों और अपनी जानों के साथ जिहाद किया और जिन लोगों ने उन्हें शरण दी और सहायता की, वही लोग परस्पर एक-दूसरे के संरक्षक मित्र है। रहे वे लोग जो ईमान लाए, किन्तु उन्होंने हिजरत नहीं की, उनसे तुम्हारा संरक्षण और मित्रता का कोई सम्बन्ध नहीं है, जब तक कि वे हिजरत न करें, किन्तु यदि वे धर्म के मामले में तुमसे सहायता माँगे तो तुमपर अनिवार्य है कि सहायता करो, सिवाय इसके कि सहायता किसी ऐसी क़ौम के मुक़ाबले में हो जिससे तुम्हारी कोई संधि हो। तुम जो कुछ करते हो अल्लाह उसे देखता है
1233873والذين كفروا بعضهم أولياء بعض إلا تفعلوه تكن فتنة في الأرض وفساد كبير
जो इनकार करनेवाले लोग है, वे आपस में एक-दूसरे के मित्र और सहायक है। यदि तुम ऐसा नहीं करोगे तो धरती में फ़ितना और बड़ा फ़साद फैलेगा
1234874والذين آمنوا وهاجروا وجاهدوا في سبيل الله والذين آووا ونصروا أولئك هم المؤمنون حقا لهم مغفرة ورزق كريم
और जो लोग ईमान लाए और उन्होंने हिजरत की और अल्लाह के मार्ग में जिहाद किया और जिन लोगों ने उन्हें शरण दी और सहायता की वही सच्चे मोमिन हैं। उनके क्षमा और सम्मानित - उत्तम आजीविका है


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