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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
13 | 2 | 6 | إن الذين كفروا سواء عليهم أأنذرتهم أم لم تنذرهم لا يؤمنون |
| | | बेशक जिन लोगों ने कुफ़्र इख़तेयार किया उनके लिए बराबर है (ऐ रसूल) ख्वाह (चाहे) तुम उन्हें डराओ या न डराओ वह ईमान न लाएँगे |
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14 | 2 | 7 | ختم الله على قلوبهم وعلى سمعهم وعلى أبصارهم غشاوة ولهم عذاب عظيم |
| | | उनके दिलों पर और उनके कानों पर (नज़र करके) खुदा ने तसदीक़ कर दी है (कि ये ईमान न लाएँगे) और उनकी ऑंखों पर परदा (पड़ा हुआ) है और उन्हीं के लिए (बहुत) बड़ा अज़ाब है |
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15 | 2 | 8 | ومن الناس من يقول آمنا بالله وباليوم الآخر وما هم بمؤمنين |
| | | और बाज़ लोग ऐसे भी हैं जो (ज़बान से तो) कहते हैं कि हम खुदा पर और क़यामत पर ईमान लाए हालाँकि वह दिल से ईमान नहीं लाए |
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16 | 2 | 9 | يخادعون الله والذين آمنوا وما يخدعون إلا أنفسهم وما يشعرون |
| | | खुदा को और उन लोगों को जो ईमान लाए धोखा देते हैं हालाँकि वह अपने आपको धोखा देते हैं और कुछ शऊर नहीं रखते हैं |
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17 | 2 | 10 | في قلوبهم مرض فزادهم الله مرضا ولهم عذاب أليم بما كانوا يكذبون |
| | | उनके दिलों में मर्ज़ था ही अब खुदा ने उनके मर्ज़ को और बढ़ा दिया और चूँकि वह लोग झूठ बोला करते थे इसलिए उन पर तकलीफ देह अज़ाब है |
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18 | 2 | 11 | وإذا قيل لهم لا تفسدوا في الأرض قالوا إنما نحن مصلحون |
| | | और जब उनसे कहा जाता है कि मुल्क में फसाद न करते फिरो (तो) कहते हैं कि हम तो सिर्फ इसलाह करते हैं |
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19 | 2 | 12 | ألا إنهم هم المفسدون ولكن لا يشعرون |
| | | ख़बरदार हो जाओ बेशक यही लोग फसादी हैं लेकिन समझते नहीं |
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20 | 2 | 13 | وإذا قيل لهم آمنوا كما آمن الناس قالوا أنؤمن كما آمن السفهاء ألا إنهم هم السفهاء ولكن لا يعلمون |
| | | और जब उनसे कहा जाता है कि जिस तरह और लोग ईमान लाए हैं तुम भी ईमान लाओ तो कहते हैं क्या हम भी उसी तरह ईमान लाएँ जिस तरह और बेवकूफ़ लोग ईमान लाएँ, ख़बरदार हो जाओ लोग बेवक़ूफ़ हैं लेकिन नहीं जानते |
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21 | 2 | 14 | وإذا لقوا الذين آمنوا قالوا آمنا وإذا خلوا إلى شياطينهم قالوا إنا معكم إنما نحن مستهزئون |
| | | और जब उन लोगों से मिलते हैं जो ईमान ला चुके तो कहते हैं हम तो ईमान ला चुके और जब अपने शैतानों के साथ तनहा रह जाते हैं तो कहते हैं हम तुम्हारे साथ हैं हम तो (मुसलमानों को) बनाते हैं |
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22 | 2 | 15 | الله يستهزئ بهم ويمدهم في طغيانهم يعمهون |
| | | (वह क्या बनाएँगे) खुदा उनको बनाता है और उनको ढील देता है कि वह अपनी सरकशी में ग़लत पेचाँ (उलझे) रहें |
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