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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1151 | 7 | 197 | والذين تدعون من دونه لا يستطيعون نصركم ولا أنفسهم ينصرون |
| | | और वह लोग (बुत) जिन्हें तुम ख़ुदा के सिवा (अपनी मदद को) पुकारते हो न तो वह तुम्हारी मदद की कुदरत रखते हैं और न ही अपनी मदद कर सकते हैं |
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1152 | 7 | 198 | وإن تدعوهم إلى الهدى لا يسمعوا وتراهم ينظرون إليك وهم لا يبصرون |
| | | और अगर उन्हें हिदायत की तरफ बुलाएगा भी तो ये सुन ही नहीं सकते और तू तो समझता है कि वह तुझे (ऑखें खोले) देख रहे हैं हालॉकि वह देखते नहीं |
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1153 | 7 | 199 | خذ العفو وأمر بالعرف وأعرض عن الجاهلين |
| | | (ऐ रसूल) तुम दरगुज़र करना एख्तियार करो और अच्छे काम का हुक्म दो और जाहिलों की तरफ से मुह फेर लो |
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1154 | 7 | 200 | وإما ينزغنك من الشيطان نزغ فاستعذ بالله إنه سميع عليم |
| | | अगर शैतान की तरफ से तुम्हारी (उम्मत के) दिल में किसी तरह का (वसवसा (शक) पैदा हो तो ख़ुदा से पनाह मॉगों (क्योंकि) उसमें तो शक़ ही नहीं कि वह बड़ा सुनने वाला वाक़िफकार है |
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1155 | 7 | 201 | إن الذين اتقوا إذا مسهم طائف من الشيطان تذكروا فإذا هم مبصرون |
| | | बेशक लोग परहेज़गार हैं जब भी उन्हें शैतान का ख्याल छू भी गया तो चौक पड़ते हैं फिर फौरन उनकी ऑखें खुल जाती हैं |
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1156 | 7 | 202 | وإخوانهم يمدونهم في الغي ثم لا يقصرون |
| | | उन काफिरों के भाई बन्द शैतान उनको (धर पकड़) गुमराही के तरफ घसीटे जाते हैं फिर किसी तरह की कोताही (भी) नहीं करते |
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1157 | 7 | 203 | وإذا لم تأتهم بآية قالوا لولا اجتبيتها قل إنما أتبع ما يوحى إلي من ربي هذا بصائر من ربكم وهدى ورحمة لقوم يؤمنون |
| | | और जब तुम उनके पास कोई (ख़ास) मौजिज़ा नहीं लाते तो कहते हैं कि तुमने उसे क्यों नहीं बना लिया (ऐ रसूल) तुम कह दो कि मै तो बस इसी वही का पाबन्द हूँ जो मेरे परवरदिगार की तरफ से मेरे पास आती है ये (क़ुरान) तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से (हक़ीकत) की दलीलें हैं |
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1158 | 7 | 204 | وإذا قرئ القرآن فاستمعوا له وأنصتوا لعلكم ترحمون |
| | | और ईमानदार लोगों के वास्ते हिदायत और रहमत हैं (लोगों) जब क़ुरान पढ़ा जाए तो कान लगाकर सुनो और चुपचाप रहो ताकि (इसी बहाने) तुम पर रहम किया जाए |
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1159 | 7 | 205 | واذكر ربك في نفسك تضرعا وخيفة ودون الجهر من القول بالغدو والآصال ولا تكن من الغافلين |
| | | और अपने परवरदिगार को अपने जी ही में गिड़गिड़ा के और डर के और बहुत चीख़ के नहीं (धीमी) आवाज़ से सुबह व शाम याद किया करो और (उसकी याद से) ग़ाफिल बिल्कुल न हो जाओ |
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1160 | 7 | 206 | إن الذين عند ربك لا يستكبرون عن عبادته ويسبحونه وله يسجدون |
| | | बेशक जो लोग (फरिशते बग़ैरह) तुम्हारे परवरदिगार के पास मुक़र्रिब हैं और वह उसकी इबादत से सर कशी नही करते और उनकी तसबीह करते हैं और उसका सजदा करते हैं (206) सजदा |
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