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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1133 | 7 | 179 | ولقد ذرأنا لجهنم كثيرا من الجن والإنس لهم قلوب لا يفقهون بها ولهم أعين لا يبصرون بها ولهم آذان لا يسمعون بها أولئك كالأنعام بل هم أضل أولئك هم الغافلون |
| | | निश्चय ही हमने बहुत-से जिन्नों और मनुष्यों को जहन्नम ही के लिए फैला रखा है। उनके पास दिल है जिनसे वे समझते नहीं, उनके पास आँखें है जिनसे वे देखते नहीं; उनके पास कान है जिनसे वे सुनते नहीं। वे पशुओं की तरह है, बल्कि वे उनसे भी अधिक पथभ्रष्ट है। वही लोग है जो ग़फ़लत में पड़े हुए है |
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1134 | 7 | 180 | ولله الأسماء الحسنى فادعوه بها وذروا الذين يلحدون في أسمائه سيجزون ما كانوا يعملون |
| | | अच्छे नाम अल्लाह ही के है। तो तुम उन्हीं के द्वारा उसे पुकारो और उन लोगों को छोड़ो जो उसके नामों के सम्बन्ध में कुटिलता ग्रहण करते है। जो कुछ वे करते है, उसका बदला वे पाकर रहेंगे |
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1135 | 7 | 181 | وممن خلقنا أمة يهدون بالحق وبه يعدلون |
| | | हमारे पैदा किए प्राणियों में कुछ लोग ऐसे भी है जो हक़ के अनुसार मार्ग दिखाते और उसी के अनुसार न्याय करते है |
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1136 | 7 | 182 | والذين كذبوا بآياتنا سنستدرجهم من حيث لا يعلمون |
| | | रहे वे लोग जिन्होंने हमारी आयतों को झुठलाया, हम उन्हें क्रमशः तबाही की ओर ले जाएँगे, ऐसे तरीक़े से जिसे वे जानते नहीं |
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1137 | 7 | 183 | وأملي لهم إن كيدي متين |
| | | मैं तो उन्हें ढील दिए जा रहा हूँ। निश्चय ही मेरी चाल अत्यन्त सुदृढ़ है |
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1138 | 7 | 184 | أولم يتفكروا ما بصاحبهم من جنة إن هو إلا نذير مبين |
| | | क्या उन लोगों ने विचार नहीं किया? उनके साथी को कोई उन्माद नहीं। वह तो बस एक साफ़-साफ़ सचेत करनेवाला है |
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1139 | 7 | 185 | أولم ينظروا في ملكوت السماوات والأرض وما خلق الله من شيء وأن عسى أن يكون قد اقترب أجلهم فبأي حديث بعده يؤمنون |
| | | या क्या उन्होंने आकाशों और धरती के राज्य पर और जो चीज़ भी अल्लाह ने पैदा की है उसपर दृष्टि नहीं डाली, और इस बात पर कि कदाचित उनकी अवधि निकट आ लगी हो? फिर आख़िर इसके बाद अब कौन-सी बात हो सकती है, जिसपर वे ईमान लाएँगे? |
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1140 | 7 | 186 | من يضلل الله فلا هادي له ويذرهم في طغيانهم يعمهون |
| | | जिसे अल्लाह मार्ग से वंचित रखे उसके लिए कोई मार्गदर्शक नहीं। वह तो तो उन्हें उनकी सरकशी ही में भटकता हुआ छोड़ रहा है |
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1141 | 7 | 187 | يسألونك عن الساعة أيان مرساها قل إنما علمها عند ربي لا يجليها لوقتها إلا هو ثقلت في السماوات والأرض لا تأتيكم إلا بغتة يسألونك كأنك حفي عنها قل إنما علمها عند الله ولكن أكثر الناس لا يعلمون |
| | | तुमसे उस घड़ी (क़ियामत) के विषय में पूछते है कि वह कब आएगी? कह दो, "उसका ज्ञान मेरे रब ही के पास है। अतः वही उसे उसके समय पर प्रकट करेगा। वह आकाशों और धरती में बोझिल हो गई है - बस अचानक ही वह तुमपर आ जाएगी।" वे तुमसे पूछते है मानो तुम उसके विषय में भली-भाँति जानते हो। कह दो, "उसका ज्ञान तो बस अल्लाह ही के पास है - किन्तु अधिकांश लोग नहीं जानते।" |
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1142 | 7 | 188 | قل لا أملك لنفسي نفعا ولا ضرا إلا ما شاء الله ولو كنت أعلم الغيب لاستكثرت من الخير وما مسني السوء إن أنا إلا نذير وبشير لقوم يؤمنون |
| | | कहो, "मैं अपने लिए न तो लाभ का अधिकार रखता हूँ और न हानि का,बल्कि अल्लाह ही की इच्छा क्रियान्वित है। यदि मुझे परोक्ष (ग़ैब) का ज्ञान होता तो बहुत-सी भलाई समेट लेता और मुझे कभी कोई हानि न पहुँचती। मैं तो बस सचेत करनेवाला हूँ, उन लोगों के लिए जो ईमान लाएँ।" |
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