نتائج البحث: 6236
|
ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1129 | 7 | 175 | واتل عليهم نبأ الذي آتيناه آياتنا فانسلخ منها فأتبعه الشيطان فكان من الغاوين |
| | | और (ऐ रसूल) तुम उन लोगों को उस शख़्श का हाल पढ़ कर सुना दो जिसे हमने अपनी आयतें अता की थी फिर वह उनसे निकल भागा तो शैतान ने उसका पीछा पकड़ा और आख़िरकार वह गुमराह हो गया |
|
1130 | 7 | 176 | ولو شئنا لرفعناه بها ولكنه أخلد إلى الأرض واتبع هواه فمثله كمثل الكلب إن تحمل عليه يلهث أو تتركه يلهث ذلك مثل القوم الذين كذبوا بآياتنا فاقصص القصص لعلهم يتفكرون |
| | | और अगर हम चाहें तो हम उसे उन्हें आयतों की बदौलत बुलन्द मरतबा कर देते मगर वह तो ख़ुद ही पस्ती (नीचे) की तरफ झुक पड़ा और अपनी नफसानी ख्वाहिश का ताबेदार बन बैठा तो उसकी मसल है कि अगर उसको धुत्कार दो तो भी ज़बान निकाले रहे और उसको छोड़ दो तो भी ज़बान निकले रहे ये मसल उन लोगों की है जिन्होंने हमारी आयतों को झुठलाया तो (ऐ रसूल) ये क़िस्से उन लोगों से बयान कर दो ताकि ये लोग खुद भी ग़ौर करें |
|
1131 | 7 | 177 | ساء مثلا القوم الذين كذبوا بآياتنا وأنفسهم كانوا يظلمون |
| | | जिन लोगों ने हमारी आयतों को झुठलाया है उनकी भी क्या बुरी मसल है और अपनी ही जानों पर सितम ढाते रहे |
|
1132 | 7 | 178 | من يهد الله فهو المهتدي ومن يضلل فأولئك هم الخاسرون |
| | | राह पर बस वही शख़्श है जिसकी ख़ुदा हिदायत करे और जिनको गुमराही में छोड़ दे तो वही लोग घाटे में हैं |
|
1133 | 7 | 179 | ولقد ذرأنا لجهنم كثيرا من الجن والإنس لهم قلوب لا يفقهون بها ولهم أعين لا يبصرون بها ولهم آذان لا يسمعون بها أولئك كالأنعام بل هم أضل أولئك هم الغافلون |
| | | और गोया हमने (ख़ुदा) बहुतेरे जिन्नात और आदमियों को जहन्नुम के वास्ते पैदा किया और उनके दिल तो हैं (मगर कसदन) उन से देखते ही नहीं और उनके कान भी है (मगर) उनसे सुनने का काम ही नहीं लेते (खुलासा) ये लोग गोया जानवर हैं बल्कि उनसे भी कहीं गए गुज़रे हुए यही लोग (अमूर हक़) से बिल्कुल बेख़बर हैं |
|
1134 | 7 | 180 | ولله الأسماء الحسنى فادعوه بها وذروا الذين يلحدون في أسمائه سيجزون ما كانوا يعملون |
| | | और अच्छे (अच्छे) नाम ख़ुदा ही के ख़ास हैं तो उसे उन्हीं नामों में पुकारो और जो लोग उसके नामों में कुफ्र करते हैं उन्हें (उनके हाल पर) छोड़ दो और वह बहुत जल्द अपने करतूत की सज़ाएं पाएंगें |
|
1135 | 7 | 181 | وممن خلقنا أمة يهدون بالحق وبه يعدلون |
| | | और हमारी मख़लूक़ात से कुछ लोग ऐसे भी हैं जो दीने हक़ की हिदायत करते हैं और हक़ से इन्साफ़ भी करते हैं |
|
1136 | 7 | 182 | والذين كذبوا بآياتنا سنستدرجهم من حيث لا يعلمون |
| | | और जिन लोगों ने हमारी आयतों को झुठलाया हम उन्हें बहुत जल्द इस तरह आहिस्ता आहिस्ता (जहन्नुम में) ले जाएंगें कि उन्हें ख़बर भी न होगी |
|
1137 | 7 | 183 | وأملي لهم إن كيدي متين |
| | | और मैं उन्हें (दुनिया में) ढील दूंगा बेशक मेरी तद्बीर (पुख्ता और) मज़बूत है |
|
1138 | 7 | 184 | أولم يتفكروا ما بصاحبهم من جنة إن هو إلا نذير مبين |
| | | क्या उन लोगों ने इतना भी ख्याल न किया कि आख़िर उनके रफीक़ (मोहम्मद ) को कुछ जुनून तो नहीं वह तो बस खुल्लम खुल्ला (अज़ाबे ख़ुदा से) डराने वाले हैं |
|