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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1121 | 7 | 167 | وإذ تأذن ربك ليبعثن عليهم إلى يوم القيامة من يسومهم سوء العذاب إن ربك لسريع العقاب وإنه لغفور رحيم |
| | | और याद करो जब तुम्हारे रब ने ख़बर कर दी थी कि वह क़ियामत के दिन तक उनके विरुद्ध ऐसे लोगों को उठाता रहेगा, जो उन्हें बुरी यातना देंगे। निश्चय ही तुम्हारा रब जल्द सज़ा देता है और वह बड़ा क्षमाशील, दावान भी है |
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1122 | 7 | 168 | وقطعناهم في الأرض أمما منهم الصالحون ومنهم دون ذلك وبلوناهم بالحسنات والسيئات لعلهم يرجعون |
| | | और हमने उन्हें टुकड़े-टुकड़े करके धरती में अनेक गिरोहों में बिखेर दिया। कुछ उनमें से नेक है और कुछ उनमें इससे भिन्न हैं, और हमने उन्हें अच्छी और बुरी परिस्थितियों में डालकर उनकी परीक्षा ली, कदाचित वे पलट आएँ |
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1123 | 7 | 169 | فخلف من بعدهم خلف ورثوا الكتاب يأخذون عرض هذا الأدنى ويقولون سيغفر لنا وإن يأتهم عرض مثله يأخذوه ألم يؤخذ عليهم ميثاق الكتاب أن لا يقولوا على الله إلا الحق ودرسوا ما فيه والدار الآخرة خير للذين يتقون أفلا تعقلون |
| | | फिर उनके पीछ ऐसे अयोग्य लोगों ने उनकी जगह ली, जो किताब के उत्ताराधिकारी होकर इसी तुच्छ संसार का सामान समेटते है और कहते है, "हमें अवश्य क्षमा कर दिया जाएगा।" और यदि इस जैसा और सामान भी उनके पास आ जाए तो वे उसे भी ले लेंगे। क्या उनसे किताब का यह वचन नहीं लिया गया था कि वे अल्लाह पर थोपकर हक़ के सिवा कोई और बात न कहें। और जो उसमें है उसे वे स्वयं पढ़ भी चुके है। और आख़िरत का घर तो उन लोगों के लिए उत्तम है, जो डर रखते है। तो क्या तुम बुद्धि से काम नहीं लेते? |
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1124 | 7 | 170 | والذين يمسكون بالكتاب وأقاموا الصلاة إنا لا نضيع أجر المصلحين |
| | | और जो लोग किताब को मज़बूती से थामते है और जिन्होंने नमाज़ क़ायम कर रखी है, तो काम को ठीक रखनेवालों के प्रतिदान को हम कभी अकारथ नहीं करते |
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1125 | 7 | 171 | وإذ نتقنا الجبل فوقهم كأنه ظلة وظنوا أنه واقع بهم خذوا ما آتيناكم بقوة واذكروا ما فيه لعلكم تتقون |
| | | और याद करो जब हमने पर्वत को हिलाया, जो उनके ऊपर था। मानो वह कोई छत्र हो और वे समझे कि बस वह उनपर गिरा ही चाहता है, "थामो मज़बूती से, जो कुछ हमने दिया है। और जो कुछ उसमें है उसे याद रखो, ताकि तुम बच सको।" |
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1126 | 7 | 172 | وإذ أخذ ربك من بني آدم من ظهورهم ذريتهم وأشهدهم على أنفسهم ألست بربكم قالوا بلى شهدنا أن تقولوا يوم القيامة إنا كنا عن هذا غافلين |
| | | और याद करो जब तुम्हारे रब ने आदम की सन्तान से (अर्थात उनकी पीठों से) उनकी सन्तति निकाली और उन्हें स्वयं उनके ऊपर गवाह बनाया कि "क्या मैं तुम्हारा रब नहीं हूँ?" बोले, "क्यों नहीं, हम गवाह है।" ऐसा इसलिए किया कि तुम क़ियामत के दिन कहीं यह न कहने लगो कि "हमें तो इसकी ख़बर ही न थी।" |
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1127 | 7 | 173 | أو تقولوا إنما أشرك آباؤنا من قبل وكنا ذرية من بعدهم أفتهلكنا بما فعل المبطلون |
| | | या कहो कि "(अल्लाह के साथ) साझी तो पहले हमारे बाप-दादा ने किया। हम तो उसके पश्चात उनकी सन्तति में हुए है। तो क्या तू हमें उसपर विनष्ट करेगा जो कुछ मिथ्याचारियों ने किया है?" |
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1128 | 7 | 174 | وكذلك نفصل الآيات ولعلهم يرجعون |
| | | इस प्रकार स्थिति के अनुकूल आयतें प्रस्तुत करते है। और शायद कि वे पलट आएँ |
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1129 | 7 | 175 | واتل عليهم نبأ الذي آتيناه آياتنا فانسلخ منها فأتبعه الشيطان فكان من الغاوين |
| | | और उन्हें उस व्यक्ति का हाल सुनाओ जिसे हमने अपनी आयतें प्रदान की किन्तु वह उनसे निकल भागा। फिर शैतान ने उसे अपने पीछे लगा लिया। अन्ततः वह पथभ्रष्ट और विनष्ट होकर रहा |
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1130 | 7 | 176 | ولو شئنا لرفعناه بها ولكنه أخلد إلى الأرض واتبع هواه فمثله كمثل الكلب إن تحمل عليه يلهث أو تتركه يلهث ذلك مثل القوم الذين كذبوا بآياتنا فاقصص القصص لعلهم يتفكرون |
| | | यदि हम चाहते तो इन आयतों के द्वारा उसे उच्चता प्रदान करते, किन्तु वह तो धरती के साथ लग गया और अपनी इच्छा के पीछे चला। अतः उसकी मिसाल कुत्ते जैसी है कि यदि तुम उसपर आक्षेप करो तब भी वह ज़बान लटकाए रहे या यदि तुम उसे छोड़ दो तब भी वह ज़बान लटकाए ही रहे। यही मिसाल उन लोगों की है, जिन्होंने हमारी आयतों को झुठलाया, तो तुम वृत्तान्त सुनाते रहो, कदाचित वे सोच-विचार कर सकें |
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