بسم الله الرحمن الرحيم

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ترتيب الآيةرقم السورةرقم الآيةالاية
1122105ما يود الذين كفروا من أهل الكتاب ولا المشركين أن ينزل عليكم من خير من ربكم والله يختص برحمته من يشاء والله ذو الفضل العظيم
इनकार करनेवाले नहीं चाहते, न किताबवाले और न मुशरिक (बहुदेववादी) कि तुम्हारे रब की ओर से तुमपर कोई भलाई उतरे, हालाँकि अल्लाह जिसे चाहे अपनी दयालुता के लिए ख़ास कर ले; अल्लाह बड़ा अनुग्रह करनेवाला है
1132106ما ننسخ من آية أو ننسها نأت بخير منها أو مثلها ألم تعلم أن الله على كل شيء قدير
हम जिस आयत (और निशान) को भी मिटा दें या उसे भुला देते है, तो उससे बेहतर लाते है या उस जैसा दूसरा ही। क्या तुम नहीं जानते हो कि अल्लाह को हर चीज़ का सामर्थ्य प्राप्त है?
1142107ألم تعلم أن الله له ملك السماوات والأرض وما لكم من دون الله من ولي ولا نصير
क्या तुम नहीं जानते कि आकाशों और धरती का राज्य अल्लाह ही का है और अल्लाह से हटकर न तुम्हारा कोई मित्र है और न सहायक?
1152108أم تريدون أن تسألوا رسولكم كما سئل موسى من قبل ومن يتبدل الكفر بالإيمان فقد ضل سواء السبيل
(ऐ ईमानवालों! तुम अपने रसूल के आदर का ध्यान रखो) या तुम चाहते हो कि अपने रसूल से उसी प्रकार से प्रश्न और बात करो, जिस प्रकार इससे पहले मूसा से बात की गई है? हालाँकि जिस व्यक्ति न ईमान के बदले इनकार की नीति अपनाई, तो वह सीधे रास्ते से भटक गया
1162109ود كثير من أهل الكتاب لو يردونكم من بعد إيمانكم كفارا حسدا من عند أنفسهم من بعد ما تبين لهم الحق فاعفوا واصفحوا حتى يأتي الله بأمره إن الله على كل شيء قدير
बहुत-से किताबवाले अपने भीतर की ईर्ष्या से चाहते है कि किसी प्रकार वे तुम्हारे ईमान लाने के बाद फेरकर तुम्हे इनकार कर देनेवाला बना दें, यद्यपि सत्य उनपर प्रकट हो चुका है, तो तुम दरगुज़र (क्षमा) से काम लो और जाने दो यहाँ तक कि अल्लाह अपना फ़ैसला लागू न कर दे। निस्संदेह अल्लाह को हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है
1172110وأقيموا الصلاة وآتوا الزكاة وما تقدموا لأنفسكم من خير تجدوه عند الله إن الله بما تعملون بصير
और नमाज़ कायम करो और ज़कात दो और तुम स्वयं अपने लिए जो भलाई भी पेश करोगे, उसे अल्लाह के यहाँ मौजूद पाओगे। निस्संदेह जो कुछ तुम करते हो, अल्लाह उसे देख रहा है
1182111وقالوا لن يدخل الجنة إلا من كان هودا أو نصارى تلك أمانيهم قل هاتوا برهانكم إن كنتم صادقين
और उनका कहना है, "कोई व्यक्ति जन्नत में प्रवेश नहीं करता सिवाय उससे जो यहूदी है या ईसाई है।" ये उनकी अपनी निराधार कामनाएँ है। कहो, "यदि तुम सच्चे हो तो अपने प्रमाण पेश करो।"
1192112بلى من أسلم وجهه لله وهو محسن فله أجره عند ربه ولا خوف عليهم ولا هم يحزنون
क्यों नहीं, जिसने भी अपने-आपको अल्लाह के प्रति समर्पित कर दिया और उसका कर्म भी अच्छे से अच्छा हो तो उसका प्रतिदान उसके रब के पास है और ऐसे लोगो के लिए न तो कोई भय होगा और न वे शोकाकुल होंगे
1202113وقالت اليهود ليست النصارى على شيء وقالت النصارى ليست اليهود على شيء وهم يتلون الكتاب كذلك قال الذين لا يعلمون مثل قولهم فالله يحكم بينهم يوم القيامة فيما كانوا فيه يختلفون
यहूदियों ने कहा, "ईसाईयों की कोई बुनियाद नहीं।" और ईसाइयों ने कहा, "यहूदियों की कोई बुनियाद नहीं।" हालाँकि वे किताब का पाठ करते है। इसी तरह की बात उन्होंने भी कही है जो ज्ञान से वंचित है। तो अल्लाह क़यामत के दिन उनके बीच उस चीज़ के विषय में निर्णय कर देगा, जिसके विषय में वे विभेद कर रहे है
1212114ومن أظلم ممن منع مساجد الله أن يذكر فيها اسمه وسعى في خرابها أولئك ما كان لهم أن يدخلوها إلا خائفين لهم في الدنيا خزي ولهم في الآخرة عذاب عظيم
और उससे बढ़कर अत्याचारी और कौन होगा जिसने अल्लाह की मस्जिदों को उसके नाम के स्मरण से वंचित रखा और उन्हें उजाडने पर उतारू रहा? ऐसे लोगों को तो बस डरते हुए ही उसमें प्रवेश करना चाहिए था। उनके लिए संसार में रुसवाई (अपमान) है और उनके लिए आख़िरत में बड़ी यातना नियत है


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