بسم الله الرحمن الرحيم

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ترتيب الآيةرقم السورةرقم الآيةالاية
10597105حقيق على أن لا أقول على الله إلا الحق قد جئتكم ببينة من ربكم فأرسل معي بني إسرائيل
मुझ पर वाजिब है कि ख़ुदा पर सच के सिवा (एक हुरमत भी झूठ) न कहूँ मै यक़ीनन तुम्हारे पास तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से वाजेए व रोशन मौजिज़े लेकर आया हूँ
10607106قال إن كنت جئت بآية فأت بها إن كنت من الصادقين
तो तू बनी ईसराइल को मेरे हमराह करे दे फिरऔन कहने लगा अगर तुम सच्चे हो और वाक़ई कोई मौजिज़ा लेकर आए हो तो उसे दिखाओ
10617107فألقى عصاه فإذا هي ثعبان مبين
(ये सुनते ही) मूसा ने अपनी छड़ी (ज़मीन पर) डाल दी पस वह यकायक (अच्छा खासा) ज़ाहिर बज़ाहिर अजदहा बन गई
10627108ونزع يده فإذا هي بيضاء للناظرين
और अपना हाथ बाहर निकाला तो क्या देखते है कि वह हर शख़्श की नज़र मे जगमगा रहा है
10637109قال الملأ من قوم فرعون إن هذا لساحر عليم
तब फिरऔन के क़ौम के चन्द सरदारों ने कहा ये तो अलबत्ता बड़ा माहिर जादूगर है
10647110يريد أن يخرجكم من أرضكم فماذا تأمرون
ये चाहता है कि तुम्हें तुम्हारें मुल्क से निकाल बाहर कर दे तो अब तुम लोग उसके बारे में क्या सलाह देते हो
10657111قالوا أرجه وأخاه وأرسل في المدائن حاشرين
(आख़िर) सबने मुत्तफिक़ अलफाज़ (एक ज़बान होकर) कहा कि (ऐ फिरऔन) उनको और उनके भाई (हारून) को चन्द दिन कैद में रखिए और (एतराफ़ के) शहरों में हरकारों को भेजिए
10667112يأتوك بكل ساحر عليم
कि तमाम बड़े बड़े जादूगरों का जमा करके अपके पास दरबार में हाज़िर करें
10677113وجاء السحرة فرعون قالوا إن لنا لأجرا إن كنا نحن الغالبين
ग़रज़ जादूगर सब फिरऔन के पास हाज़िर होकर कहने लगे कि अगर हम (मूसा से) जीत जाएं तो हमको बड़ा भारी इनाम ज़रुर मिलना चाहिए
10687114قال نعم وإنكم لمن المقربين
फिरऔन ने कहा (हॉ इनाम ही नहीं) बल्कि फिर तो तुम हमारे दरबार के मुक़र्रेबीन में से होगें


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