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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1047 | 7 | 93 | فتولى عنهم وقال يا قوم لقد أبلغتكم رسالات ربي ونصحت لكم فكيف آسى على قوم كافرين |
| | | तब वह उनके यहाँ से यह कहता हुआ फिरा, "ऐ मेरी क़ौम के लोगो! मैंने अपने रब के सन्देश तुम्हें पहुँचा दिए और मैंने तुम्हारा हित चाहा। अब मैं इनकार करनेवाले लोगो पर कैसे अफ़सोस करूँ!" |
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1048 | 7 | 94 | وما أرسلنا في قرية من نبي إلا أخذنا أهلها بالبأساء والضراء لعلهم يضرعون |
| | | हमने जिस बस्ती में भी कभी कोई नबी भेजा, तो वहाँ के लोगों को तंगी और मुसीबत में डाला, ताकि वे (हमारे सामने) गिड़गि़ड़ाए |
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1049 | 7 | 95 | ثم بدلنا مكان السيئة الحسنة حتى عفوا وقالوا قد مس آباءنا الضراء والسراء فأخذناهم بغتة وهم لا يشعرون |
| | | फिर हमने बदहाली को ख़ुशहाली में बदल दिया, यहाँ तक कि वे ख़ूब फले-फूले और कहने लगे, "ये दुख और सुख तो हमारे बाप-दादा को भी पहुँचे हैं।" अनततः जब वे बेखबर थे, हमने अचानक उन्हें पकड़ लिया |
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1050 | 7 | 96 | ولو أن أهل القرى آمنوا واتقوا لفتحنا عليهم بركات من السماء والأرض ولكن كذبوا فأخذناهم بما كانوا يكسبون |
| | | यदि बस्तियों के लोग ईमान लाते और डर रखते तो अवश्य ही हम उनपर आकाश और धरती की बरकतें खोल देते, परन्तु उन्होंने तो झुठलाया। तो जो कुछ कमाई वे करते थे, उसके बदले में हमने उन्हें पकड़ लिया |
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1051 | 7 | 97 | أفأمن أهل القرى أن يأتيهم بأسنا بياتا وهم نائمون |
| | | फिर क्या बस्तियों के लोगों को इस और से निश्चिन्त रहने का अवसर मिल सका कि रात में उनपर हमारी यातना आ जाए, जबकि वे सोए हुए हो? |
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1052 | 7 | 98 | أوأمن أهل القرى أن يأتيهم بأسنا ضحى وهم يلعبون |
| | | और क्या बस्तियों के लोगो को इस ओर से निश्चिन्त रहने का अवसर मिल सका कि दिन चढ़े उनपर हमारी यातना आ जाए, जबकि वे खेल रहे हों? |
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1053 | 7 | 99 | أفأمنوا مكر الله فلا يأمن مكر الله إلا القوم الخاسرون |
| | | आख़िर क्या वे अल्लाह की चाल से निश्चिन्त हो गए थे? तो (समझ लो उन्हें टोटे में पड़ना ही था, क्योंकि) अल्लाह की चाल से तो वही लोग निश्चित होते है, जो टोटे में पड़नेवाले होते है |
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1054 | 7 | 100 | أولم يهد للذين يرثون الأرض من بعد أهلها أن لو نشاء أصبناهم بذنوبهم ونطبع على قلوبهم فهم لا يسمعون |
| | | क्या जो धरती के, उसके पूर्ववासियों के पश्चात उत्तराधिकारी हुए है, उनपर यह तथ्य प्रकट न हुआ कि यदि हम चाहें तो उनके गुनाहों पर उन्हें आ पकड़े? हम तो उनके दिलों पर मुहर लगा रहे हैं, क्योंकि वे कुछ भी नहीं सुनते |
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1055 | 7 | 101 | تلك القرى نقص عليك من أنبائها ولقد جاءتهم رسلهم بالبينات فما كانوا ليؤمنوا بما كذبوا من قبل كذلك يطبع الله على قلوب الكافرين |
| | | ये है वे बस्तियाँ जिनके कुछ वृत्तान्त हम तुमको सुना रहे है। उनके पास उनके रसूल खुली-खुली निशानियाँ लेकर आए परन्तु वे ऐसे न हुए कि ईमान लाते। इसका कारण यह था कि वे पहले से झुठलाते रहे थे। इसी प्रकार अल्लाह इनकार करनेवालों के दिलों पर मुहर लगा देता है |
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1056 | 7 | 102 | وما وجدنا لأكثرهم من عهد وإن وجدنا أكثرهم لفاسقين |
| | | हमने उनके अधिकतर लोगो में प्रतिज्ञा का निर्वाह न पाया, बल्कि उनके बहुतों को हमने उल्लंघनकारी ही पाया |
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