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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1038 | 7 | 84 | وأمطرنا عليهم مطرا فانظر كيف كان عاقبة المجرمين |
| | | और हमने उन लोगों पर (पत्थर का) मेह बरसाया-पस ज़रा ग़ौर तो करो कि गुनाहगारों का अन्जाम आखिर क्या हुआ |
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1039 | 7 | 85 | وإلى مدين أخاهم شعيبا قال يا قوم اعبدوا الله ما لكم من إله غيره قد جاءتكم بينة من ربكم فأوفوا الكيل والميزان ولا تبخسوا الناس أشياءهم ولا تفسدوا في الأرض بعد إصلاحها ذلكم خير لكم إن كنتم مؤمنين |
| | | और (हमने) मदयन (वालों के) पास उनके भाई शुएब को (रसूल बनाकर भेजा) तो उन्होंने (उन लोगों से) कहा ऐ मेरी क़ौम ख़ुदा ही की इबादत करो उसके सिवा कोई दूसरा माबूद नहीं (और) तुम्हारे पास तो तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से एक वाजेए व रौशन मौजिज़ा (भी) आ चुका तो नाप और तौल पूरी किया करो और लोगों को उनकी (ख़रीदी हुई) चीज़ में कम न दिया करो और ज़मीन में उसकी असलाह व दुरूस्ती के बाद फसाद न करते फिरो अगर तुम सच्चे ईमानदार हो तो यही तुम्हारे हक़ में बेहतर है |
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1040 | 7 | 86 | ولا تقعدوا بكل صراط توعدون وتصدون عن سبيل الله من آمن به وتبغونها عوجا واذكروا إذ كنتم قليلا فكثركم وانظروا كيف كان عاقبة المفسدين |
| | | और तुम लोग जो रास्तों पर (बैठकर) जो ख़ुदा पर ईमान लाया है उसको डराते हो और ख़ुदा की राह से रोकते हो और उसकी राह में (ख्वाहमाख्वाह) कज़ी ढूँढ निकालते हो अब न बैठा करो और उसको तो याद करो कि जब तुम (शुमार में) कम थे तो ख़ुदा ही ने तुमको बढ़ाया, और ज़रा ग़ौर तो करो कि (आख़िर) फसाद फैलाने वालों का अन्जाम क्या हुआ |
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1041 | 7 | 87 | وإن كان طائفة منكم آمنوا بالذي أرسلت به وطائفة لم يؤمنوا فاصبروا حتى يحكم الله بيننا وهو خير الحاكمين |
| | | और जिन बातों का मै पैग़ाम लेकर आया हूँ अगर तुममें से एक गिरोह ने उनको मान लिया और एक गिरोह ने नहीं माना तो (कुछ परवाह नहीं) तो तुम सब्र से बैठे (देखते) रहो यहाँ तक कि ख़ुदा (खुद) हमारे दरमियान फैसला कर दे, वह तो सबसे बेहतर फैसला करने वाला है |
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1042 | 7 | 88 | قال الملأ الذين استكبروا من قومه لنخرجنك يا شعيب والذين آمنوا معك من قريتنا أو لتعودن في ملتنا قال أولو كنا كارهين |
| | | तो उनकी क़ौम में से जिन लोगों को (अपनी हशमत (दुनिया पर) बड़ा घमण्ड था कहने लगे कि ऐ शुएब हम तुम्हारे साथ ईमान लाने वालों को अपनी बस्ती से निकाल बाहर कर देगें मगर जबकि तुम भी हमारे उसी मज़हब मिल्लत में लौट कर आ जाओ |
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1043 | 7 | 89 | قد افترينا على الله كذبا إن عدنا في ملتكم بعد إذ نجانا الله منها وما يكون لنا أن نعود فيها إلا أن يشاء الله ربنا وسع ربنا كل شيء علما على الله توكلنا ربنا افتح بيننا وبين قومنا بالحق وأنت خير الفاتحين |
| | | हम अगरचे तुम्हारे मज़हब से नफरत ही रखते हों (तब भी लौट जाएं माज़अल्लाह) जब तुम्हारे बातिल दीन से ख़ुदा ने मुझे नजात दी उसके बाद भी अब अगर हम तुम्हारे मज़हब मे लौट जाएं तब हमने ख़ुदा पर बड़ा झूठा बोहतान बॉधा (ना) और हमारे वास्ते तो किसी तरह जायज़ नहीं कि हम तुम्हारे मज़हब की तरफ लौट जाएँ मगर हाँ जब मेरा परवरदिगार अल्लाह चाहे तो हमारा परवरदिगार तो (अपने) इल्म से तमाम (आलम की) चीज़ों को घेरे हुए है हमने तो ख़ुदा ही पर भरोसा कर लिया ऐ हमारे परवरदिगार तू ही हमारे और हमारी क़ौम के दरमियान ठीक ठीक फैसला कर दे और तू सबसे बेहतर फ़ैसला करने वाला है |
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1044 | 7 | 90 | وقال الملأ الذين كفروا من قومه لئن اتبعتم شعيبا إنكم إذا لخاسرون |
| | | और उनकी क़ौम के चन्द सरदार जो काफिर थे (लोगों से) कहने लगे कि अगर तुम लोगों ने शुएब की पैरवी की तो उसमें शक़ ही नहीं कि तुम सख्त घाटे में रहोगे |
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1045 | 7 | 91 | فأخذتهم الرجفة فأصبحوا في دارهم جاثمين |
| | | ग़रज़ उन लोगों को ज़लज़ले ने ले डाला बस तो वह अपने घरों में औन्धे पड़े रह गए |
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1046 | 7 | 92 | الذين كذبوا شعيبا كأن لم يغنوا فيها الذين كذبوا شعيبا كانوا هم الخاسرين |
| | | जिन लोगों ने शुएब को झुठलाया था वह (ऐसे मर मिटे कि) गोया उन बस्तियों में कभी आबाद ही न थे जिन लोगों ने शुएब को झुठलाया वही लोग घाटे में रहे |
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1047 | 7 | 93 | فتولى عنهم وقال يا قوم لقد أبلغتكم رسالات ربي ونصحت لكم فكيف آسى على قوم كافرين |
| | | तब शुएब उन लोगों के सर से टल गए और (उनसे मुख़ातिब हो के) कहा ऐ मेरी क़ौम मैं ने तो अपने परवरदिगार के पैग़ाम तुम तक पहुँचा दिए और तुम्हारी ख़ैर ख्वाही की थी, फिर अब मैं काफिरों पर क्यों कर अफसोस करूँ |
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