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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1005 | 7 | 51 | الذين اتخذوا دينهم لهوا ولعبا وغرتهم الحياة الدنيا فاليوم ننساهم كما نسوا لقاء يومهم هذا وما كانوا بآياتنا يجحدون |
| | | उनके लिए जिन्होंने अपना धर्म खेल-तमाशा ठहराया और जिन्हें सांसारिक जीवन ने धोखे में डाल दिया, तो आज हम भी उन्हें भुला देंगे, जिस प्रकार वे अपने इस दिन की मुलाक़ात को भूले रहे और हमारी आयतों का इनकार करते रहे |
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1006 | 7 | 52 | ولقد جئناهم بكتاب فصلناه على علم هدى ورحمة لقوم يؤمنون |
| | | और निश्चय ही हम उनके पास एक ऐसी किताब ले आए है, जिसे हमने ज्ञान के आधार पर विस्तृत किया है, जो ईमान लानेवालों के लिए मार्गदर्शन और दयालुता है |
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1007 | 7 | 53 | هل ينظرون إلا تأويله يوم يأتي تأويله يقول الذين نسوه من قبل قد جاءت رسل ربنا بالحق فهل لنا من شفعاء فيشفعوا لنا أو نرد فنعمل غير الذي كنا نعمل قد خسروا أنفسهم وضل عنهم ما كانوا يفترون |
| | | क्या वे लोग केवल इसी की प्रतीक्षा में है कि उसकी वास्तविकता और परिणाम प्रकट हो जाए? जिस दिन उसकी वास्तविकता सामने आ जाएगी, तो वे लोग इससे पहले उसे भूले हुए थे, बोल उठेंगे, "वास्तव में, हमारे रब के रसूल सत्य लेकर आए थे। तो क्या हमारे कुछ सिफ़ारिशी है, जो हमारी सिफ़ारिश कर दें या हमें वापस भेज दिया जाए कि जो कुछ हम करते थे उससे भिन्न कर्म करें?" उन्होंने अपने आपको घाटे में डाल दिया और जो कुछ वे झूठ घढ़ते थे, वे सब उनसे गुम होकर रह गए |
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1008 | 7 | 54 | إن ربكم الله الذي خلق السماوات والأرض في ستة أيام ثم استوى على العرش يغشي الليل النهار يطلبه حثيثا والشمس والقمر والنجوم مسخرات بأمره ألا له الخلق والأمر تبارك الله رب العالمين |
| | | निस्संदेह तुम्हारा रब वही अल्लाह है, जिसने आकाशों और धरती को छह दिनों में पैदा किया - फिर राजसिंहासन पर विराजमान हुआ। वह रात को दिन पर ढाँकता है जो तेज़ी से उसका पीछा करने में सक्रिय है। और सूर्य, चन्द्रमा और तारे भी बनाए, इस प्रकार कि वे उसके आदेश से काम में लगे हुए है। सावधान रहो, उसी की सृष्टि है और उसी का आदेश है। अल्लाह सारे संसार का रब, बड़ी बरकतवाला है |
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1009 | 7 | 55 | ادعوا ربكم تضرعا وخفية إنه لا يحب المعتدين |
| | | अपने रब को गिड़गिड़ाकर और चुपके-चुपके पुकारो। निश्चय ही वह हद से आगे बढ़नेवालों को पसन्द नहीं करता |
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1010 | 7 | 56 | ولا تفسدوا في الأرض بعد إصلاحها وادعوه خوفا وطمعا إن رحمت الله قريب من المحسنين |
| | | और धरती में उसके सुधार के पश्चात बिगाड़ न पैदा करो। भय और आशा के साथ उसे पुकारो। निश्चय ही, अल्लाह की दयालुता सत्कर्मी लोगों के निकट है |
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1011 | 7 | 57 | وهو الذي يرسل الرياح بشرا بين يدي رحمته حتى إذا أقلت سحابا ثقالا سقناه لبلد ميت فأنزلنا به الماء فأخرجنا به من كل الثمرات كذلك نخرج الموتى لعلكم تذكرون |
| | | और वही है जो अपनी दयालुता से पहले शुभ सूचना देने को हवाएँ भेजता है, यहाँ तक कि जब वे बोझल बादल को उठा लेती है तो हम उसे किसी निर्जीव भूमि की ओर चला देते है, फिर उससे पानी बरसाते है, फिर उससे हर तरह के फल निकालते है। इसी प्रकार हम मुर्दों को मृत अवस्था से निकालेगे - ताकि तुम्हें ध्यान हो |
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1012 | 7 | 58 | والبلد الطيب يخرج نباته بإذن ربه والذي خبث لا يخرج إلا نكدا كذلك نصرف الآيات لقوم يشكرون |
| | | और अच्छी भूमि के पेड़-पौधे उसके रब के आदेश से निकलते है और जो भूमि ख़राब हो गई है तो उससे निकम्मी पैदावार के अतिरिक्त कुछ नहीं निकलता। इसी प्रकार हम निशानियों को उन लोगों के लिए तरह-तरह से बयान करते है, जो कृतज्ञता दिखानेवाले है |
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1013 | 7 | 59 | لقد أرسلنا نوحا إلى قومه فقال يا قوم اعبدوا الله ما لكم من إله غيره إني أخاف عليكم عذاب يوم عظيم |
| | | हमने नूह को उसकी क़ौम के लोगों की ओर भेजा, तो उसने कहा, "ऐ मेरी क़ौम के लोगो! अल्लाह की बन्दगी करो। उसके अतिरिक्त तुम्हारा कोई पूज्य नहीं। मैं तुम्हारे लिए एक बड़े दिन का यातना से डरता हूँ।" |
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1014 | 7 | 60 | قال الملأ من قومه إنا لنراك في ضلال مبين |
| | | उसकी क़ौम के सरदारों ने कहा, "हम तो तुम्हें खुली गुमराही में पड़ा देख रहे है।" |
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